Hindi Poem from Avyakt murli. Murli se ek Kavita 11 July 1972. To read more Hindi poems written, visit Murli Poems page.
_11.07.1972 की अव्यक्त मुरली पर आधारित कविता..._ *निर्णय शक्ति को बढ़ाने की कसौटी-साकार बाप के चरित्र* ✺ समय विशेष, विशेष आत्मा, विशेषता *समपन्न•••••* ✺ संगम पर बाप बच्चो के स्नेही मिलन मेले के मधुर *प्रकम्पन्न••••* ✺ मेले में मिलने और बिछुड़ने की सीन *होती हैं ••••* ✺ तो इस महान श्रेष्ठ मेले में भी,बाप का से *विरक्ति होतीहै ••••* ✺ मेला होता, खुशी,उमंग, और सुख के झूले में झूलना •••• ✺ न कि श्रीमत का हाथ छोड, दुख के पारावार में डूबना•••• ✺ सारे कल्प में, यही संगम के पावन *पर्व पर ••••* ✺ परमपिता परमात्मा से मिलन मेला मनाते हम सब *झूम कर••••* ✺ लक्ष्य श्रेष्ठ और लक्षण साधारण कैसे *संभव है?••••* ✺ विघ्नों और झंझावतो से त्रसित आज मानव *मन है••••* ✺ विघ्नों का निवारण करने मे निर्णय शक्ति *कम है••••* ✺ विकल्पों का फुल फॉर्स है,निर्विकल्प बनने का कहाँ मे *दम है ••••* ✺ व्यर्थ संकल्पों से बुद्धि की लाइन *व्यस्त हैं••••* ✺ कारण का निवारण नहीं करते, तो माया बड़ी *जबरदस्त है••••* ✺ स्वर्ण परख कसौटी है:: *ब्रह्मा बाप के चरित्र ••••* ✺ इस कसौटी से यथार्थ -अयथार्थ , व्यर्थ--समर्थ, का होता *क्लियर चित्र••••* ✺ इस कसौटी की परख से योग युक्त *युक्ति युक्त होंगे ••••* ✺ संकल्पो के तूफ़ान, समस्या और *विघ्न मुक्त होंगे••••* ✺ मुक्ति जीवन मुक्ति तो हमारा *अधिकार है••••* ✺ आज्ञाकारी, वफादार, फरमानबरदार तो बच्चे *नम्बरवार है••••* ✺ देह में रहो मगर, *देहातीत हो••••* ✺ कर्म करतें बाप सा हम *कर्मातीत हो••••* ✺ अधिकारी और अधीनता, दुर्लभ *संयोग है••••* ✺ मिले हुए वर्से से भी *वियोग है••••* ✺ ऐसी कलाबाजी का खेल, अब ना *यहाँ करो••••* ✺ इस भट्ठी में, सर्व कमजोरियों को *स्वाहा करो••••*