Hindi Poem from Avyakt murli. Murli se ek Kavita 12 July 1972. To read more Hindi poems written, visit Murli Poems page.
_*12.07.72 की मुरली पर आधारित कविता.*_ *मरजीवा जन्म की स्मृति से गृहस्थी वा प्रवृति की विस्मृति* ✺ मास्टर सर्वशक्तिमान तो हर परिस्थिति मे रहते *अडिग••••.* ✺ स्व स्थिति परम सत्ता है,ब्राह्मण इससे नहीं *अनभिज्ञ••••* ✺ अति तमोपर्धानता उपरान्त ही सतोपर्धानता का *साम्राज्य होगा ••••* ✺ जिसका बुद्धियोग रहे स्थिर, वहीं फ़ाइनल पेपर मे *विजयी होगा ••••* ✺ अधर कुमार नही,स्वयं को *ब्रह्माकुमार समझो••••* ✺ प्रवृति के बंधन से परे, ड्यूटी पर निमित्त *ट्रस्टी समझो••••* ✺ बापदादा ने मरजीवा जन्म दिया, गृहस्थी नही *बना कर दी••••* ✺ भाई भाई की दृष्टि और ट्रस्टीशिप की *सेवा ऑफर की••••* ✺ जिन परिवारिक आत्माओ की सेवा का भाग्य *आपको मिला••••* ✺ उन्हे भी ईशवरीय सेवार्थ लगा, उनका *जीवन कमल खिला••••* ✺ पारिवारिक आतमाऐ ही ,आपका रीजल्ट *बताऐगी••••* ✺ समबन्ध, समपर्क और बोल में, स्थिति न्यारी होती * जाएगी••••* ✺ इस भट्ठी में, अधर कुमार की *विस्मृति हो••••* ✺ इस छाप से दृष्टी, वृत्ति, वा *स्थिति ऊंची हो••••* ✺ आपके मस्तक, चहरे और चलन में *अलौकिकता की आभा हो••••* ✺ आपकी वरदानी,कल्याणकारी, वृत्ति के पावरफुल वाईबर्शन से ,*आल्हादित घर आंगन गलियारा हो••••* ✺ यादगार बनने के लिए, याद में रह *कर्म करते जाना••••* ✺ वरदान भूमि के वरदानो से सुशोभित *वरदानी मूर्त बनकर जाना••••*