Hindi Poem from Avyakt murli. Murli se ek Kavita 14 July 1972. To read more Hindi poems written, visit Murli Poems page.
*14.07.72 मुरली पर आधारित कविता.*_ ✺ सरकारी गुप्त अनुचर नित नये *प्लेनस बनाते हैं••••* ✺ उलटा कर्म करने वालो, धोखा देने वालो का, *सुराग बताते हैं ••••* ✺ उसी भाँति पाण्डव गवर्नमेंट के *गुप्त अनुचर हम••••* ✺ महावीर, विघनविनाशक, बाबा के *राइट हैण्ड हम* ✺ विद्वान्, आचार्य, आदि के शिष्य अंध श्रद्धा मे *सत सत करते••••* ✺ परन्तु हम शक्ति सैना तो अतीन्द्रिय मौजो से *माया के मोहक रूप से छुडाते••••* ✺ यही अंतिम प्रभाव का है साधन,चींटी *महारथी को गिराती••••* ✺ शिव शक्तियो के ग्यान बाणो से माया *प्रताड़ित हो जाती* ✺ असत्य को असत्य सिद्ध कर *सत्य पताका फहराना है••••* ✺ यथार्थ ग्यान का शंखनाद कर अयथार्थ ग्यान का *सिंहासन ढूलाना है * ✺ अंतिम सर्विस का प्रक्टिकल रूप अब *आकार लेने लगा है••••* ✺ प्रजा तो बहुत बन ही जाएगी, सतयुगी राजाइ पद अब आह्वान करने लगा है ••••* ✺ गुरूओ और गुरूमुखो, के माया जाल *अब विच्छिन्न करो••••* ✺ विमुख करने वाले जब, सममुख हो *तब सेवा अभिन्न हो••••* ✺ संकल्प रूपी बीज को उमंग, उत्साह के *जल से सीचो••••* ✺ अपने प्रक्टिकल चरित्रों से,ऐसा *चित्र अब खीचो••••* ✺ रमता योगी बन उमंग और शक्ति से, सत्ग्यान की*अलख जगाओ••••* ✺ ग्यान की धूनी रमा कर, अयथार्थ की कालिमा *को भगाओ तुम••••*