अव्यक्त मुरली से कविता 16-07-1972 ~ Avyakt Murli Kavita Murli Poem

Hindi Poem from Avyakt murli. Murli se ek Kavita 16 July 1972.  To read more Hindi poems written, visit Murli Poems page.



*16.07.72 की अव्यक्त मुरली पर आधारित कविता*
  
     *स्वच्छ और आत्मिक बल वालीं आत्मा ही आकर्षण मूर्त*
        
✺  हर सेकण्ड की एक्ट, करो परन्तु यूँ, करो कि *हीरो ऐक्टर हो••••*
✺  मुख्य एक्टर-एकटिव,एक्कयूरेट, *अटर्ऐक्टिव अवश्य हो••••*

✺  हर कर्म, हर बोल ,हर चलन, मे  *रूहानियत की अट्रेकशन•••*
✺  स्वच्छ आत्मा, आत्मिक बल, *सतोपर्धानता का ऐकटिवेशन••••*

✺  दैहिक सुन्दरता का आकर्षण, *समीपता से होता••••* 
✺  परन्तु  रूहानियत का अट्रेक्शन ,*दूर से ही होता ••••* 

✺  मंसा, वाचा,कर्मणा, श्रीमत *प्रमाण ऐक्क्यूरेट••••*
✺  नियम,मर्यादा, दिनचर्या और डायरेकशन मे  *परफेक्ट••••*

✺  ऐक्टिव आत्मा,  जिस समय,जैसा चाहे, *वैसा बन सकती हैं••••*
✺  मानसिक हताश आत्मा को भी,उमंग *मे लासकती हैं•••• *

✺  तीनों  विशेषताओं  का संगम ही,*महानायक का आगाज है••••*
✺  स्टेज के साथ परसेंटेज नही, तो वंचित *सतयुग का ताज है••••*

✺  थर्ड डिवीजन और फर्स्ट डिवीजन में *बहुत अंतर है••••*
✺  पास तो होंगे, पर परसेंटेज का आधार ही *जादू  मंत्र है••••*

✺  ड्रामा की स्टेज तो नेचुरल है, पर संगठन *बहुत बड़ा है ••••*
✺  बापदादा की दिव्य धारणाओं *पर खड़ा है••••*

✺  यही हीरे तुल्य, संयमयुग  *महान मिलन मेला है••••*
✺  विशेष बापदादा  से, मिलने की यह *विशेष वेला है••••*

✺   तो सवयं को भी विशेष *बनना पड़े••••*
✺  लक्ष्य बड़ा, तो *लक्ष्ण भी बड़े••••*

✺  बेहद समझदार वह है, जो बाप की *पालना का सबूत दे••••*
✺  विशेष बन,विशेष बाप की, विशेष *आस को रूप द••••*

                    ओमशांति 

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