अव्यक्त मुरली से कविता 18-07-1972 ~ Avyakt Murli Kavita Murli Poem

Hindi Poem from Avyakt murli. Murli se ek Kavita 18 July 1972.  To read more Hindi poems written, visit Murli Poems page.



18.07.1972 की अव्यक्त मुरली पर आधारित कविता..._

     *कमजोरियों का सम्पत्ति समारोह करने वाले ही  तीव्र पुरुषार्थी है*

✺  समय की गति तीव्र है, अवरोध से *अवरूद्ध नही••••*  
✺  फिर चाहे परिस्थिति, प्रकृति, हो *क्रुद्ध ही•••• *  

✺  तो क्या आप एवररेडी आत्मा, *एवरहैप्पी हो?••••*  
✺  फिर चाहे, प्राकृतिक आपदा,परिस्थिति रूपी पेपर या फ़िर *कर्म भोग हो••••*  

✺  ड्रामा तो सर्व आत्माओ  का पुरानी दुनिया से *समाप्ति समारोह करवायेगा••••*
✺  परन्तु आप तीव्र पुरुषार्थी श्रेष्ठ आत्माऐ ,तो पहले ही *परिवर्तन समारोह मनाओगे••••*

✺  जब हर कार्य की डेट फिक्सकर, तैयारी कर समय प्रमाण *सफल करते ••••*
✺  फिर कमजोरियों के समाप्ति समारोह की डेट ,क्यू नही *फ़ाइनल करते••••*

✺  जब तक पूर्णाहुति ना पड़े, विश्व परिवर्तन का *कार्य हौले चले••••*
✺  व्यर्थसंकल्पों, व्यर्थ बोल, साधारण कर्मो से,नूतन *पल्लव ना खिले ••••*

✺  यादगार तभी बने ,जब याद में रह कर *हर कर्म किये ••••*
✺  फिर अनेक बार के, श्रेष्ठ कर्म वा यादगार *स्वरूप कर्म रिपीट किये••••*

✺  माया-दूस्तर -स्मृति मे ताला लगा, बेताला बनाती••••*
✺  लककी,और लवली होते भी,किस्मत को *लॅआक लगाती••••*

✺  दैवीयो, शक्तियों  के  चित्र युक्तियुक्त *ही लुभाते है••••*
✺  और  रूह के रूहाब से चरित्र *मनमोहक हो जाते है••••*

✺  यादगार चित्र और चरित्र ही दुनिया में *मोस्ट वैल्यूऐबल होता••••*
✺  मास्टर  त्रिकालदर्शी स्मृति के पुरुषार्थ से, मुश्किल कार्य भी *मोस्ट ऐक्सैसिबल होता है।••••*

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