Hindi Poem from Avyakt murli. Murli se ek Kavita 24 December 1972. To read more Hindi poems written, visit Murli Poems page.
24-12-72 की अव्यक्त मुरली पर आधारित कविता *संगमयुगी श्रेष्ठ आत्माओं की ज़िम्मेवारी* ✺ ब्राह्मणों की रीति-रस्म, रिवाज प्रैक्टिकल जीवन, *अनादि विधान बन जाता ••••* ✺ तो हर कर्म विधिपूर्वक स्मृतिस्वरूप करने से *अलबेलापन नही भरममाता••••* ✺ संगमयुग की यही विशेषता है कि, हरेक श्रेष्ठ आत्मा को *जिम्मेवारी का ताज़ है••••* ✺ यथार्थ विधि से सम्पूर्ण सिद्धि ही तो *सफलता का राज है ••••* ✺ कोई भी बात सामने विघ्न रूप में आती है, तो उसको *परिवर्तन करना जी••••* ✺ यह युक्ति आ जाये तो सदा विघ्नों से मुक्त हो ,*परिपक्व बनना जी••••* ✺ विस्मृति के कारण- स्मृति, वृत्ति, दृष्टि और *संपर्क बनता है••••* ✺ व्यर्थ स्मृति- देह वा देह के संबंध, देह के पदार्थों की स्मृति सम्पूर्णता मे *बाधक बनता है••••* ✺ देह की दृष्टि के बजाय *आत्मिक दृष्टि हो••••* ✺ व्यक्त संपर्क नही,अव्यक्त-अलौकिक *संपर्क हो•••* ✺ जब प्रकृति की शक्ति साईंस वस्तु को एक सेकेण्ड में परिवर्तन *कर सकती है•••• ✺ तो परमात्म-शक्ति, श्रेष्ठ आत्मा की शक्ति अपनी दृष्टि, वृत्ति को परिवर्तन *नहीं कर पाती है?•••• ✺ साइन्स आपकी रचना है और आप तो *मास्टर रचयिता हो ना••••* ✺ भटकी हुई आत्माओ को परमात्म-शक्ति ,ईश्वरीय शक्ति वा साईंलेन्स की शक्ति का *प्रैक्टिकल सबूत दो ना••••* ✺ कोई अपकार करे, आप एक सेकेण्ड में उसे *उपकार में परिवर्तित कर लो••••* ✺ संस्कार स्वभाव परीक्षा के रूप में आवे,तो आप उस आत्मा के प्रति रहमदिल का संस्कार *धारण कर लो••••* ✺ संगदोष वाली आत्मा को भी वशीकरण ,कर संगदोष से निकाल *श्रेष्ठ संग मे लाते••••* ✺ जैसे आप बाप पर बलिहार जाते, ऐसे वे आत्माऐ भी आपके *शुक्रिया के गीत गाते••••* ✺ यह ड्रामा ही परिवर्तनशील है। सबकी *गति होनी है••••* ✺ लेकिन सही रूप में, श्रेष्ठ रूप में परिवर्तन करने से *श्रेष्ठ प्राप्ति होती है।* ✺ समय प्रमाण परिवर्तन हुआ तो प्राप्ति *नहीं होगी।••••* ✺ किन्तु समय पूर्व परिवर्तन की शक्ति से परिवर्तित कर लिया तो इसकी प्राप्ति *आपको ही जावेगी।•••* ✺ मौसमी फल की इतनी वैल्यू नहीं परनतु बिन मौसम फल की बात ही *कुछ और है••••* ✺ अब जोर-शोर से बाप की प्रत्यक्षता का सबूत दो और जो पालना ली है उस पालना का फल *देना जरूर है••••* ✺ इस वर्ष का वरदान है,विघ्न-विनाशक बन *लग्न में मग्न रहना••••* ✺ विघ्न, विघ्न नहीं अनुभव होंगे परन्तु विघ्न -विचित्र अनुभवीमूर्त *बनना है•••* ✺ अल्पकाल के मिलन के बजाय सदाकाल के मिलन के *अनुभवी बन जायेंगे।••••* ✺ पता नहीं’ शब्द बदल ‘सभी पता है’ अर्थात् *नॉलेजफुल बन जावेंगे••••*। ओमशान्ति