अव्यक्त मुरली से कविता 04-12-1972 ~ Avyakt Murli Kavita Murli Poem

Hindi Poem from Avyakt murli. Murli se ek Kavita 04 December 1972.  To read more Hindi poems written, visit Murli Poems page.


04-12-72  की अव्यक्त मुरली पर आधारित कविता

         *महावीर आत्माओं की रूहानी ड्रिल*


✺  बंधनयुक्त से बंधनमुक्त स्थिति,कर्म करते हुये *कर्मबंधनों से परे••••* 
✺  परमपिता परमात्मा ने हमारी तकदीर में ये सर्वोत्तम  *रंग भरे••••*

✺  सहज योगी, स्वत: योगी, सदा योगी, कर्म योगी, श्रेष्ठ योगी, योगेश्वर बाबा ने किया हमारा *श्रृंगार••••*
✺  श्वास अब प्राणेश्वर बाप के ज्ञान के आधार पर हम चलाते,मन बुद्धि से माया को *लगाते धिक्कार••••*

✺  हम महावीर-महावीरनियां श्रीमत पर चलने वाले *श्रेष्ठ आत्मायें है ••••*
✺  कदम में पद्मों की कमाई, हैं पाते,हम पद्मापद्म *भाग्यशाली आत्माएं  है••••* 

✺  शास्त्रवादियों ,गुरूओं, कलियुगी संबंधियों,- की मत में अब वजन *नही है••••*
✺  पराई चीज़ को अपनाने में कुछ समय लगता, परन्तु अपना ही ओरिजनल स्वरूप *तो वही है••••*

✺  रूहानी ड्रिल,अभी-अभी निराकारी, अभी-अभी आकारी, अभी-अभी *साकारी कर्मयोगी।••••* 
✺  इस साकार देह रूपी चोले को कर्त्तव्य प्रमाण धारण किया और न्यारा *हुआ सो योगी ••••*

✺  स्थूल वस्त्र टाइट होते हैं तो *सहज उतरते नहीं हैं,••••*
✺  आत्मा का यह देह रूपी वस्त्र ,माया के आकर्षण में टाइट हो तो सहज *निकलेगी नही••••*

✺  जब आत्मा इस शरीर रूपी चोले को धारण करने और न्यारे होने में *असमर्थ हुई••••*
✺  तब यह देह भान की खींच और विकारो की कालिमा से परेशान आत्मा भटकना *स्टार्ट हुई •••••*

✺  कर्मेन्द्रियां ,कर्मभोग के वश अपनी तरफ आकर्षित करें,  *तो बहुत दर्द होता है।••••*
✺  कर्मभोग को कर्मयोग मे परिवर्तन करने वाले, साक्षी हो कर्मेन्द्रियों को भोगवाने वाले *ही अष्ट रत्न मे आता है। ••••*

✺  ऐसे अष्ट भुजाधारी अर्थात् *अष्ट शक्ति सम्पन्न••••*, 
✺  एक सेकेण्ड में संकल्पों को कंट्रोल करने में *सर्वश्रेष्ठ नंबर वन••••

✺  सर्व आत्माओं को बाप का परिचय *दिलाने वाली आत्माएं,••••*
✺  बिछुड़ी हुई आत्माओं को बाप से *मिलाने वाली आत्माएं, ••••*

✺ प्यासी आत्माओं को सदाकाल के लिये *तृत्प करने वाली••••*
✺  शक्ति रूप महावीर- महावीरनियां, बाप का नाम *बाला करने वाली ••••*

✺  आप सभी श्रेष्ठ आत्माएं इस शरीर के आकर्षण से परे सदैव अष्ट शक्तियां से *सुसज्जित••••*
✺  अपने भक्तों को अल्पकाल की शक्तियों का वरदान देने वाले हो *देव इच्छित••••*

✺  कर्मातीत अवस्था से पहले संस्कार मिलन  *मेला होगा।••••*
✺  बाप के संस्कार,गुण,कर्त्तव्य की स्पीड औरअव्यक्त निराकारी स्थिति की स्टेज *का आप सब से शो होगा••••*

✺ जब आत्माएं बाप की समानता के मेले को मनावेंगी तब *जय-जयकार होगी••••*
✺  आत्माएं भी मेला मनावेंगी, फिर वानप्रस्थ में *चली जावेंगी।••••* 
                         ओमशान्ति 

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