अव्यक्त मुरली से कविता 04-08-1972 ~ Avyakt Murli Kavita Murli Poem

Hindi Poem from Avyakt murli. Murli se ek Kavita 04 August 1972.  To read more Hindi poems written, visit Murli Poems page.

*4-08-1972 की अव्यक्त मुरली पर आधारित कविता*

       *सर्विसेबल, सेनूसिबल और  इसेनसफुल की निशानीया*
       
✺  काल चक्र की बलिवेदी पर, दिन, महीने, साल, *न्यौछावर होते जाऐंगे••••*
✺  हम परमात्म प्यार की राहों पर, *गुणवान बनते जाएगे••••*

✺  संगम के सिम्बल,बाप समान  बनने का *पुरुषार्थ करते हो?••••*
✺  सर्विसेबल,सेन्सिबल,इसेन्सफुल,सवयं *को समझते हो?••••* 

✺  फर्स्ट नंबर अवयक्त फरिश्ता बन गए, अब *समीप रत्नों की है बारी••••*
✺  कम समय मे,ऊंची मंजिल, अब *पुरुषार्थ की होड़ है भारी••••*

✺  साक्षी हो,स्वयं की स्थिति के,  *फिर जजमेण्ट  देना•••* 
✺  माया मोह के पाशों से, अब हमें *क्या लेना ••••*

✺   सेवाधारी आत्मा का , हर बोल,हर संकल्प, हर कर्म  *सर्विसेबल होगा ••••*
✺  सेन्सिबल त्रिकालदर्शीपन की सीट पर  सेट,* हर कार्य मे सकसेस्फूल होगा •••*

✺  जो सर्विसेबल, सेन्सिबल होगा वही फिर *इसेन्सफुल भी होगा ••••*  
✺  विपत्ति की कसौटी पर, *वही पारस होगा••••*  

✺  इसेन्सफुल से फिर, *रूहानियत का सेण्ट फैलैगा••••*
✺  सर्वशक्तियो, सद्गुणों, से *रूहो का रूहाब और निखरेगा••••*

✺ आपकी मंसा शक्ति से *प्रकृति परिवर्तन होता ••••* 
✺  तो अब समय प्रमाण, सूक्ष्म मिशनरी का *प्रबल रूप  उद्वेलित होता••••*

✺  आप मास्टर बुद्धिवान ,सर्व  आत्माओ की, *सूक्ष्म टचिगं द्वारा ••••*
✺  बुद्धि को टच करेंगे, तो बुलंद होगा, *प्रत्यक्षता का नगाड़ा•••*

✺  भक्त आतमाऐ, अपने ईष्ट देव-देवियों, की एक *झलक के लिए तरसते हैं •••*
✺  ऐसै ही,वे,आपकी खोज मे, *एक पल की दृष्टि के लिए तरसेगे••••*

✺  भक्त आत्माऐ, विशेष दिन ,विशेष समय, *जयादा मनुहार लगाती••••*
✺  और आप श्रेष्ठ  आतमाऐ  ही *प्रक्टिकल मे ये यादगार बनाते••••*

                           ओमशान्ति 

Disclaimer: Disclaimer: Images, articles or videos on this web site occasionally come from various other media sources. Copyright is completely near source. If there are problems related to it, you can contact us.