अव्यक्त मुरली से कविता 06-08-1972 ~ Avyakt Murli Kavita Murli Poem

Hindi Poem from Avyakt murli. Murli se ek Kavita 06 August 1972.  To read more Hindi poems written, visit Murli Poems page.


6-08-1972 की अव्यक्त मुरली पर आधारित कविता


          *वृत्ति चंचल होने का कारण, व्रत मे हल्कापन*


✺  सब तीर्थो मे तीर्थ महान- मधुबन, *परिवर्तन  भूमि,वरदान  भूमि••••*
✺  यहाँ आकर कमजोरियों को भस्म कर,मन बुद्धि *खुशियों में  झूमी•••* 

✺  इस समय  का परिवर्तन  सदा काल का *हो जाएगा••••*  
✺  दृढ़ संकल्प की  अग्नि में, कमजोरियों का दाह *हो जाएगा••••*

✺  परिवर्तन भूमि मे आकर,तीव्र पुरुषार्थी *बन गए हो?•••••*
✺  शुभ वृत्ति से मास्टर सर्वशक्तिमान, नोलेजफुल, श्रेष्ठ -क्या *बन गए
हो••••*

✺  भक्ति मे भी, जान पर बन आऐ तो भी,व्रत का कभी ,किया नही खण्डन,   
✺  फिर  ग्यानी  तु आत्मा, इस अलौकिक व्रत मे, *क्यूँ  पाते अडचन••••*

✺  पहला व्रत- मन,वाणी, कर्म से *पावन•••*
✺  दूसरा- बस एक बाप ही है*मनभावन••••*

✺  व्रत लेकर फिर हल्के ना होना, बनते *राज्य भाग्य को ना खोना ••••*
✺  परिस्तिथि  मे स्व स्थिति, प्रवृति को *शुद्ध ही है  होना••••*

✺  आजकल के महात्माऐ तो,सतयुगी प्रजा की *प्रजा के भी सदृश नहीं ••••*
✺  अलौकिकता भरपूर, आसीम सुख, *निश्छल वाणी, प्रपात  नही••••*

✺  बाप दादा के  सम्मुख लिये व्रत पर *अडिग, तटस्थ रहो••••*
✺  वृत्ति  स्थिर,स्मृति स्वरूप, फिर चाहे  बाहर, *क्या भी हो••••*

✺  कमल पुष्प समान नयारे और प्रभू प्यारे  रहने से,* स्मृति आऐगी••••*
✺  समृति सो समर्थी से,धारणामूर्त बन, *हिम्मत बढती जाएगी••••*

✺  एक हिम्मत का पग,और पदमगुणा *मदद बाप की ••••*
✺  यथार्थ  विधिपूर्वक कर्म से, वाचा,*संकल्प  सिद्धि  आप की••••*


                   ओमशान्ति 

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