Hindi Poem from Avyakt murli. Murli se ek Kavita 28 July 1972. To read more Hindi poems written, visit Murli Poems page.
*28-07-1972 की की अव्यक्त मुरली पर आधारित कविता* *अपवित्रता और वियोग का संघार करने वाली शक्तियां ही असुर संघारिनी है* ✺ पवित्र भव!योगी भव! विधाता,*भाग्य रचयिता ने दिया वरदान••••* ✺ सम्पूर्ण स्टेज वा सिद्धि की प्राप्ति स्वतः ही है *ब्राह्मण जीवन की शान••••* ✺ यदि, योगी पन मे लेश मात्र भी,वियोग है,तो *माया वियोगी बना देती••••* ✺ परन्तु मास्टर सर्वशक्तिमान, चक्रवर्ति राजे,माया को, *मूर्छित कर दासी बना देते••••* ✺ भक्ति के चक्रव्यूह से तो छुट गये हो-: अब तन से चक्र नही••••* ✺ जब ये योग, वियोग से छूटो तो -:मन की परिक्रमा नही••••* ✺ शक्ति सेना और पाण्डव सेना अब उठो, *विश्व हितकारी ••••* ✺ स्व कल्याण अब बहुत हुआ, बनों *विश्व कल्याणकारी••••* ✺ नयनों से अंधा, नाम नयनसुख *अब मत बनो••••* ✺ विश्व के आधार मूर्त, उद्धार मूर्त *अनवरत बनो••••* ✺ एक सेकण्ड के शुद्ध संकल्प की शक्ति से, माया *छुई-मुई माफ़िक मूर्छित होगी••••* ✺ शक्तियो की पल-भर की दृष्टी, असुर संघार के लिए *उर्जित होगी ••••* ✺ परोपकार तरक्की का साधन है,*चढती कला तेरे भाने सब दा भला••••* ✺ पुरानी रीति रस्म अब बाधक है, भाषा, बोल चाल,*तेज़ रफ़्तार का ही अब जादू चला••••* ✺ प्रकृति कितनी भी ,तमोपर्धान क्यूँ न हो, आप *अतीन्द्रिय सुख में रहो•••* ✺ वे अति गिरावट मे, *आप उन्नति का आरोह करो••••* ✺ सुखास्वादन की पराकाष्ठा से,दुख की *लहर के संकल्प समाप्त करो••••* ✺ परन्तु अभी अवयक्त बाप, और व्यक्त आप,का *अंतिम पार्ट व्याप्त है ••••* ✺ स्थूल वतन मे रहे हुए हो, सबको व्यक्त भाव से *छुड़ा अव्यक्त बनाने के लिए ••••* ✺ बापदादा अब करते आह्वान, देर हो रही, *अवयक्त घर जाने के लिये••••* ✺ साथ रहेंगे, साथ चलेगे,फिर *साथ राज्य करेंगे ••••* ✺ हर संकल्प, बोल और कर्म से, अब *विश्व कल्याण करेगे •••* ओमशान्ति ✺✺✺✺✺✺✺✺✺✺✺✺✺✺✺✺✺